rajputana kavita in hindi
Rajputana kavita in hindi -राजपुताना कविता एवं काव्य जो आपको राजपुताना गौरव की याद दिलाते है , एक बार अवस्य पढ़े। hindi poem,rajputana poetry,rajput,rajput proud kavita in hindi, royal rajputana, kshatriya kavita. Latest hindi famous kavita for rajput only in www.rajputproud.com.
राजपुताना कविता
आग धधकती है सीने मे, आँखोँ से अंगारे,
>हम भी वंशज है राणा के, कैसे रण हारे…?
कैसे कर विश्राम रुके हम…? जब इतने कंटक हो,
राजपूत विश्राम करे क्योँ, जब देश पर संकट हो.
अपनी खड्ग उठा लेते है, बिन पल को हारे,
आग धधकती है सीने मे, आँखोँ से अंगारे।
Rajputana Kavita in Hindi
सारे सुख को त्याग खडा है, राजपूत युँ तनकर,
अपने सर की भेँट चढाने, देशभक्त युँ बनकर.
बालक जैसे अपनी माँ के, सारे कष्ट निवारे.
आग धधकती है सीने मे, आँखोँ से अंगारे।
Rajputana hindi Poetry
कतरा कतरा चाहे बह जाये लहू बदन का,
कर्ज उतर दूंगा ये वादा आज मैं कर आया !!
हँसते – हँसते खेल जाऊंगा प्राण रणभूमि में,
ये केसरिया वस्त्र मैं आज धारण कर आया
Rajputana hindi kavita
जब हम सिंहासन पर बैठते हैं तो,राजा कहलाते है ,
हमजब घोङे पर सवार होते तो,योध्दा कहलाते है,
हम किसी की जान बचाते है तो,श्रत्रिय कहलाते है,
जब हम किसी को वचन देते है तो राजपूत कहलाते है !
Rajputana Kavita In Hindi
उस वीरकुल में जन्म लेकर, छोड़ता क्यों न निशानी है ?
क्षत्रिय तू इसकी रक्षा कर, यह कुल बड़ा स्वाभिमानी है !
राणा प्रताप सा व्रती, विक्रमादित्य सा त्याग किसमे ?
अर्जुन सम धनुर्धर राजा भोज सा अनुराग किसमे ?
आल्हा उदल सम वीरवर अभिमन्यु सा तेज किसमे?
भर्तिहारी सम त्यागी, गोरा बादल सा वेग किसमे ?
क्षत्रियों की अप्रतिम वीरता, सबको जानी पहचानी है,
वीरों तू इसकी रक्षा कर, यह कुल बड़ा स्वाभिमानी है !
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