rajputana hindi kavita 2017
Rajputana hindi kavita : राजपुताना कविता एवं क्षत्रिय वीरता कविता और भी बहुत साडी काव्य रचनाये आपको पड़ने को मिलेगी यहाँ। rajputana kavita in hindi, rajputana hindi poetry, hindi kavita, rajputo ki kavita,latest rajputana hindi kavita only in rajputproud.com
राजपुताना कविता
हे क्षत्रिय! उठ! अपनी निँद्रा को त्याग।
ले इस नये रण संग्राम मे भाग,
भरकर अपनी भुजाओँ मेँ दम,
मिटा दे लोगोँ के भ्रम।
देख आज तू क्योँ है? अपने कर्तव्योँ से दुर!
कर विप्लव का फिर शंखनाद,
उठा तेरी काया मे फिर रक्त का ज्वार!
हे क्षत्रिय! उठ! अपनी निँद्रा को त्याग।
देख शिखाओँ को, उनसे उठ रहा है धुआँ,
उठ खडा हो फिर ‘अक्षय’ तू, कर दुष्टोँ का संहार,
नीति के रक्षणार्थ बन तू पार्थ!,
हे क्षत्रिय! उठ! अपनी निँद्रा को त्याग।
कर विप्लव का फिर शंखनाद,
याद कर अपने पुरखोँ के बलिदान को,
चल उन्ही के पथ पर, कर निर्माण एक नया इतिहास,
जिन्होने दिए तुम्हारे लिए प्राण,
कुछ कर कार्य ऐसा कि बढे उनका सम्मान
हे क्षत्रिय! उठ! अपनी निँद्रा को त्याग।
‘अक्षय’ खडा इस मोड पर,रहा है तुझे पुकार,
करा उसे अपने अंदर के, एक क्षत्रिय का साक्षात्कार!
हे क्षत्रिय! उठ! अपनी निँद्रा को त्याग।
जय राजपुताना जय भवानी
Rajputana Kavita
मै दुर्गा की जयेष्ट-पुत्री,क्षात्र-धर्म की शान रखाने आई हूँ !
मै सीता का प्रतिरूप ,सूर्य वंश की लाज रखाने आई हूँ । !1!
मै कुंती की अंश लिए ,चन्द्र-वंश को धर्म सिखाने आई हूँ !
मै सावित्री का सतीत्त्व लिए, यमराज को भटकाने आई हूँ। !२!
मै विदुला का मात्रत्व लिए, तुम्हे रण-क्षेत्र में भिजवाने आई हूँ !
मै पदमनी बन आज,फिर से ,जौहर की आग भड़काने आई हूँ। !३!
मै द्रौपदी का तेज़ लिए , अधर्म का नाश कराने आई हूँ !
मै गांधारी बन कर ,तुम्हे सच्चाई का ज्ञान कराने आई हूँ। !४!
मै कैकयी का सर्थीत्त्व लिए ,तुम्हे असुर-विजय कराने आई हूँ !
मै उर्मिला बन ,तुम्हे तम्हारे क्षत्रित्त्व का संचय कराने आई।!५!
क्षत्राणी कविता
मै शतरूपा बन ,तुम्हे सामने खडी , प्रलय से लड़वाने आई हूँ!
मै सीता बन कर ,फिर से कलयुगी रावणों को मरवाने आई हूँ ।!६!
मै कौशल्या बन आज ,राम को धरती पर पैदा करने आई हूँ !
मै देवकी बन आज ,कृष्ण को धरती पर पैदा करने आई हूँ। !७!
मै वह क्षत्राणी हूँ जो, महा काळ को नाच नचाने आई हूँ !
मै वह क्षत्राणी हूँ जो ,तुम्हे तुम्हारे कर्तव्य बताने आई हूँ। !८!
मै मदालसा का मात्रत्त्व लिए, माता की माहिमा,दिखलाने आई हूँ !
मै वह क्षत्राणी हूँ जो ,तुम्हे फिर से स्वधर्म बतलाने आई हूँ । !९!
हाँ तुम जिस पीड़ा को भूल चुके, मै उसे फिर उकसाने आई हूँ !
मै वह क्षत्राणी हूँ ,जो तुम्हे फिर से क्षात्र-धर्म सिखलाने आई हूँ। !१०!
“जय क्षात्र-धर्म “
🙏👑 o din dur nhi jab hamari gunj phir se ek ho uthegi
JAI RAJPUTANA
Siddhrajsinhjadeja26 @gmail.com
Ham to Rajput hay par hamra daysak sa he log kapta hay
बहुत ही बढ़िया कविता है – also visit – http://www.rajputproud.com/rajputproud
so nice
हम राजपुत -राजपुत जगडते रहेगे तब तक दुसरी कोम हमरा लाभ ले रहे है|हम मील जाये तब देखो केसे राजपुतो की सिकल बदल जाती है| और कोई हमारा लाभ नहि ले सकेगा……..
12 baras Lau kutta jiye,16 baras Lau jiye siya ,baras 18 Rajput jiye aage Jovan ko dhikar
Baras – year
Siyar – jackal
U right my all banna sa hkm Jay rajputana hkm risky banna sa
shandar kavita…….
It’s amazing..
I really like it 🥰🥰