Rajputana Stories
महाराणा प्रताप भारत के सबसे पहले स्वतंत्रता सेनानी माने जाते है। महाराणा प्रताप की वीरता विश्व विख्यात है। उन्होंने अपनी मातृभूमि की स्वतंत्रता और स्वाभिमान के लिए अपने सिंहासन को छोड़ दिया, और जंगलों में अपना जीवन बिताया लेकिन मुग़ल बादशाह अकबर के सामने मरते दम तक अपना शीश नहीं झुकाया। इतिहास के पन्नों में महाराणा प्रताप की वीरता और स्वाभिमान हमेशा के लिए अमर हो गयी। आज महाराणा प्रताप करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है।
Maharana Pratap Bravery
अकबर ने प्रताप के सामने प्रस्ताव रखा था कि अगर महाराणा प्रताप उनकी सियासत को स्वीकार करते है तो आधे हिंदुस्तान की सत्ता महाराणा प्रताप को दे दी जाएगी। लेकिन महाराणा ने उनके इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। लगातार 30 वर्षों तक प्रयास करने के बावजूद अकबर महाराणा प्रताप को बंदी नहीं बना सका।
Battle Of HaldiGhati
महाराणा प्रताप और अकबर की सेना के बीच हल्दीघाटी का महायुद्ध 1576 ई. लड़ा गया। इस युद्ध में महाराणा प्रताप की सेना में सिर्फ 20000 सैनिक तथा अकबर की सेना के 85000 सैनिक थे। अकबर की विशाल सेना और संसाधनों की ताकत के बावजूद महाराणा प्रताप ने हार नहीं मानी , और मातृभूमि के सम्मान के लिए संघर्ष करते रहे। हल्दीघाटी का युद्ध इतना भयंकर था कि युद्ध के 300 वर्षों बाद भी वहां पर तलवारें पायी गयी। आखिरी बार तलवारों का जखीरा 1985 को हल्दीघाटी में मिला था।
Jai rajputana