महाभारत का सबसे शक्तिशाली योद्धा – बर्बऋक
वैसे तो महाभारत में अनेको अनेक वीर पराक्रमी योद्धाओ का वर्णन होता है किन्तु आज हम आपको महाभारत के एक ऐसे वीर के बारे में बताएंगे जो अपनी सिद्धियों एवं पराक्रम से महाभारत का युद्ध एक पल में ही ख़त्म कर सकता था। बर्बऋक दुनिया के सर्वश्रेस्ट धनुर्धर में से एक थे। उनके पास केवल ३ बाण थे जिनसे वे महानतम योद्धाओ को पराजित कर सकते थे।
महाभारत का सबसे शक्तिशाली योद्धा -बर्बऋक
बर्बऋक पाण्डु पुत्र भीम के महाबली पौत्र थे। अपने अटूट साहस और पराक्रम के लिए विख्यात बर्बऋक घटोत्कच्छ एवं अहिलावती के पुत्र थे।
महाभारत के एक महान योद्धा में शामिल बर्बऋक अत्यंत बलशाली थे। बर्बऋक के पास अनेको दिव्य शक्तियां थी, वह एक ही बाण से सब कुछ तहस-नहस कर सकते थे। बर्बऋक के पास तीन अभेद्य बाण थे जिसके कारन बर्बरीक को पराजित करना असंभव था। जब बर्बरीक अपनी माँ से आशीर्वाद लेने गए, तब उन्हें कहा गया की तुम कमजोर पक्ष की और से युद्ध करोगे।
क्योंकी अहिलवती को लगता था की कौरवो की ओर से गुरु द्रोणाचार्य , पितामह भीष्म जैसे पराक्रमी यौद्धा होंगे। अहिलवती ने बर्बरीक से कहा की जो दाल हरने वाला हो तुम उस की और से युद्ध करना।
बर्बरीक अपने तीनो बाण लेकर कुरुक्षेत्र की और चल दिए। बर्बरीक को कुछ ऐसी विशेष सिद्धियाँ प्राप्त थीं, जिनके बल से वो एक ही पल में महाभारत के युद्ध में भाग लेनेवाले समस्त वीरों को मार सकते थे। जब वो युद्ध भूमि पहुंचे तो उनके अपार पराक्रम और वीरता देखकर श्री कृष्ण को चिंता होने लगी की यह तो महाभारत १ पल में ख़त्म कर देगा, अतः उन्होंने बर्बरीक से अपना सर रणचंडी को भेंट करने को कहा। बर्बरीक रणचंडी की भेट भी चढ़े किन्तु उनकी इच्छा थी की वो अंत तक महाभारत का युद्ध देखे।
बर्बरीक गदाधारी भीमसेन का पोता और घटोत्कच के पुत्र थे
बर्बरीक अपने तीनो बाण लेकर कुरुक्षेत्र की और चल दिए। बर्बरीक को कुछ ऐसी विशेष सिद्धियाँ प्राप्त थीं, जिनके बल से वो एक ही पल में महाभारत के युद्ध में भाग लेनेवाले समस्त वीरों को मार सकते थे। जब वो युद्ध भूमि पहुंचे तो उनके अपार पराक्रम और वीरता देखकर श्री कृष्ण को चिंता होने लगी की यह तो महाभारत १ पल में ख़त्म कर देगा, अतः उन्होंने बर्बरीक से अपना सर रणचंडी को भेंट करने को कहा। बर्बरीक रणचंडी की भेट भी चढ़े किन्तु उनकी इच्छा थी की वो अंत तक महाभारत का युद्ध देखे। श्री कृष्ण के वरदान से उनकी अंत तक महाभारत युद्ध देखने की इच्छा भी पूर्ण हुई। इनका कटा हुआ सर अंत तक युद्ध देखता रहा और गर्जना करता रहा।
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