दुर्योधन का क्षत्रिय वचन

दुर्योधन का क्षत्रिय वचन

आपको धार्मिक ग्रंथ महाभारत से जुड़ी अलग-अलग कई कहानियों के बारे में मालूम होगा, लेकिन इनमें कई ऐसी भी कहानियां हैं जिनके बारे में अाप शायद ही जानते हों. दुर्योधन का क्षत्रिय वचन उन्ही घटनाओ में से एक है।

जब कौरवों की सेना पांडवों से युद्ध हार रही थी तब दुर्योधन भीष्म पितामह के पास गया और उन्हें कहने लगा कि आप अपनी पूरी शक्ति से यह युद्ध नहीं लड़ रहे हैं.
भीष्म पितामह को काफी गुस्सा आया और उन्होंने तुरंत पांच सोने के तीर लिए और कुछ मंत्र पढ़े.मंत्र पढ़ने के बाद उन्होंने दुर्योधन से कहा कि कल इन पांच तीरों से वे पांडवों को मार देंगे.
मगर दुर्योधन को भीष्म पितामह के ऊपर विश्वास नहीं हुआ और उसने तीर ले लिए और कहा कि वह कल सुबह इन तीरों को वापस करेगा. इन तीरों के पीछे की कहानी भी बहुत मजेदार है. भगवान कृष्ण को जब तीरों के बारे में पता चला तो उन्होंने अर्जुन को बुलाया और कहा कि तुम दुर्योधन के पास जाओ और पांचो तीर मांग लो. दुर्योधन की जान तुमने एक बार गंधर्व से बचायी थी. इसके बदले उसने कहा था कि कोई एक चीज जान बचाने के लिए मांग लो. समय आ गया है कि अभी तुम उन पांच सोने के तीर मांग लो. अर्जुन दुर्योधन के पास गया और उसने तीर मांगे. क्षत्रिय होने के नाते दुर्योधन ने अपने वचन को पूरा किया और तीर अर्जुन को दे दिए.

इस तरह दुर्योधन ने अपने क्षत्रिय धर्म का पालन किया। उसका यह निर्णय नहीं होता तो शायद महाभारत
युद्ध का परिणाम कुछ और होता। यही है दुर्योधन का क्षत्रिय वचन

4 thoughts on “दुर्योधन का क्षत्रिय वचन

  • 08/28/2019 at 4:36 PM
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    jankari k liye dhanyabad

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    • 08/30/2019 at 2:45 PM
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      👍👍👍👍👍👍👍👍

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    • 08/30/2019 at 6:14 PM
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      padte rho badte rho….

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  • 09/28/2019 at 1:37 PM
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    vachan dekr pura karna rajputana dharma hai.

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